आज हूँ, कल नहीं रहूँगा मैं.
ख़ाक बनकर हवा में उड़ता रहूँगा मैं..
कभी धूल का गुबार बनकर बाहों में भर लूँगा,
कभी आँखों में किरकिरी बनकर तुझे परेशान करूंगा मैं..
कभी पहली बारिश में सौंधी खुशबू बनूँगा,
फिर छज्जे से गिरती बूँद के साथ जुड़कर तुझे छू लूँगा मैं..
हर राह पर तेरे क़दमों के साथ चलूँगा,
पलकों के बाल पर मांगी तेरी दुआ भी खुदा तक पहुचाऊँगा मैं..
जब रुखसत करोगी खुद को ज़िन्दगी से,
किसी अपने के हाथों तुझ पर गिरूंगा और तेरा हो जाऊंगा मैं..
तेरे साथ रहूँगा मैं...
तेरे साथ रहूँगा मैं...
12/02/2012
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