किताबों में पढ़ा है कि कई सितारे हमारी धरती से भी पुराने हैं ...
सोचता हूँ तो याद आती है बरसातों की वो रातें जब बिजली जाया करती थी.
रात में मेरे टेबल पर उस बड़ी मोमबत्ती के इर्द-गिर्द पतंगे नाचा करते थे..
मैं कभी पढ़ते-पढ़ते वहीँ टेबल पर सिर रखकर सो जाता था.
रात को माँ मुझे बिस्तर पर सोने को कहती और मेरे सोने के बाद मोमबत्ती बुझा देती थी.
मैं सुबह उठता तो सिर्फ मोमबत्ती जिंदा रहती और पतंगे जल चुके होते थे..
कुछ गर्मी से आह़त पतंगों की लाशें मेरी किताब के खुले पन्नों में मिलती थी.
अब जब घर में कभी बिजली नहीं जाती, तो मैं अक्सर बालकनी में रात देखने जाता हूँ.
आसमान पर हर रात चाँद जलता है और सितारे इर्द-गिर्द नाचते हैं..
मैं अक्सर उनको देखकर खुद-ब-खुद आकर बिस्तर पर सो जाता हूँ.
माँ दूर शहर में है, उसे पता नहीं कि मैं सोया हूँ या नहीं.. तो वो उसे जलता ही छोड़ देती है..
मैं सुबह उठता हूँ तो चाँद अब भी जल रहा होता है..
सोचता हूँ कि सारे सितारे जलकर कहाँ गिरे होंगे !!
खैर जो भी हो..
दरअसल सितारों की उम्र बहुत छोटी हुआ करती है.. "सिर्फ एक रात की".
पुणे (२२ जनवरी २०१२)
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