क्या कहें ऐ साकी कब से पीना शुरू किया
जब मौत ने बुलावा भेजा तब से जीना शुरू किया ।
ज़िंदगी बीत गई काम करते हुए
कहता है वक्त अब जाम भरते हुए
ज़िंदगी भर के ज़ख्म अब सीने से झांकते है
हर जाम के साथ चाक-ऐ -जिगर सीना शुरू किया।
उसको ज़िंदगी मे आते देखकर हाथ रुक गया था
उसके हुस्न के आगे यह जाम झुक गया था
आंखो के नशे को जाम मे समेटता रहा
उसे जाते देखकर फ़िर पीना शुरू किया
११/०३/०८
जब मौत ने बुलावा भेजा तब से जीना शुरू किया ।
ज़िंदगी बीत गई काम करते हुए
कहता है वक्त अब जाम भरते हुए
ज़िंदगी भर के ज़ख्म अब सीने से झांकते है
हर जाम के साथ चाक-ऐ -जिगर सीना शुरू किया।
उसको ज़िंदगी मे आते देखकर हाथ रुक गया था
उसके हुस्न के आगे यह जाम झुक गया था
आंखो के नशे को जाम मे समेटता रहा
उसे जाते देखकर फ़िर पीना शुरू किया
११/०३/०८
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