चितकबरी सी ये ज़िन्दगी, बहुत कन्फ्यूज़ करती है..
कुछ अर्धसत्य सी लगती है..
जीवन और मृत्यु दोनों ही सत्य माने जाते हैं ,
लेकिन मृत्यु किसने देखी है।
हर साल पतझड़ आता है जाने कितनी जाने लेकर जाता है ,
कौन उसे महामारी कहता है।
बस मनुष्य की अपनी सीमित सोच के अनुरूप सीमित सी लगती है..
चितकबरी सी ये ज़िन्दगी बहुत कन्फ्यूज़ करती है..
चितकबरी सी ये ज़िन्दगी बहुत कन्फ्यूज़ करती है..
कुछ अर्धसत्य सी लगती है..
व्यवहार की परिभाषा अपनी है, दूसरो के लिये है |
अपनी आँखों में तो अंतर्मन उधड़ा सा लगता है।
शर्मिंदगी की बैसाखी पर ज़िन्दगी आगे बढ़ती है|
शर्मिंदगी की बैसाखी पर ज़िन्दगी आगे बढ़ती है|
फिर भी मुस्कराहट के साथ आँखे रौशनी से चमकती हैं |
चितकबरी सी ये ज़िन्दगी बहुत कन्फ्यूज़ करती है..
कुछ अर्धसत्य सी लगती है..
कुछ अर्धसत्य सी लगती है..
बैंगलोर
२८ जुलाई २०१५
Comments
Zinadgi chitkabri he kyoki hum PRESENT me he hi PAST & FUTURE bhi jina chahte he...so humara Mind naye-2 khayal bunta rehta he....cheezo ki differentiate definition deta rehta as per its own interest.