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आओ मिलकर तोड़ें तारे

लद गया है आसमान का पेड़ इतने तारो से 
की अब  पकते है और टूट गिरते हैं 
इससे पहले की गिरकर ख़त्म, हो जाए सारे
आओ मिलकर तोड़ ले कुछ तारे 

बिगबैंग ने जो बीज डाला था, 
अरसा लगा होगा पेड़ खड़ा होने में |
कितनी ही बारिशो ने सींचा होगा,
जो ठन्डे बौर से अब चमकते फल बने है ..

सोचता हूँ कि ना जाने पके तारे का स्वाद कैसा होता होगा !
मिठ्ठू ने कहा कि किसी तोते ने भी नहीं चखा है आज तक 
घर की सारी  मिर्ची खा कर इतना ही बोला बदमाश !

खैर उम्मीद है आम सा मीठा ही होगा .. 

कल रात ही गिरते तारे को ढूंढने भागा था |
जब धरती ख़त्म हो गयी, तो रुक गया था |
वो तारा किसी और के ग्रह में जा गिरा था |
अब ऊंची डगाल से गिरे तारे का अंदाज़ा लगाना आसान भी तो नहीं ...

आओ कुछ और ऊंची गुलेल मारें..
इससे पहले की गिरकर ख़त्म, हो जाए सारे,
आओ मिलकर तोड़ ले कुछ तारे ||


बेंगलोर 
२६ जुलाई २०१५ 

Comments

Deepa said…
umdaa !! as usual u rocked Nausha miya !!

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