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Showing posts from March, 2008

दास्ताँ - ऐ - जाम

क्या कहें ऐ साकी कब से पीना शुरू किया जब मौत ने बुलावा भेजा तब से जीना शुरू किया । ज़िंदगी बीत गई काम करते हुए कहता है वक्त अब जाम भरते हुए ज़िंदगी भर के ज़ख्म अब सीने से झांकते है हर जाम के साथ चाक-ऐ -जिगर सीना शुरू किया। उसको ज़िंदगी मे आते देखकर हाथ रुक गया था उसके हुस्न के आगे यह जाम झुक गया था आंखो के नशे को जाम मे समेटता रहा उसे जाते देखकर फ़िर पीना शुरू किया ११/०३/०८

Letter from heaven

याद है मुझे दोस्त .... तुमने कहा था सब ठीक हो जाएगा । जब-जब मैं परेशान होता था, तुम यही कहा करते थे । चाहे पढ़ाई, दोस्ती या प्यार हो, तुमने यही कहा था और.. सच मे आख़िर मे सब ठीक हो जाता था। कल पूना मे मज़हबी दंगे हुए थे । किसी तलवार ने चीर दिया था मेरा सीना, बहुत दर्द हुआ था .... मेरे सामने पड़े मेरे जिस्म पर घाव अब भी है । पर जाने क्यों दर्द महसूस नहीं होता। याद है मुझे दोस्त तुमने कहा था... सब ठीक हो जाएगा। "मैं यहाँ बिल्कुल ठीक हूँ मेरे दोस्त " १५/02 /08