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Showing posts from December, 2014

जीवन की दौड़

फिर आ ही गया जन्मदिन, और मैं अपने सफर को नाप रहा हूँ..  दिन हफ्ते महीने साल दशकों में अपनी यात्रा के पड़ाव ढूंढता हूँ और सोच रहा हूँ की जीवन की इस दौड़ में कौन दौड़ रहा है..  समय या मैं ?? सब कहते हैं की समय के साथ चलो, वरना समय आगे निकल जायेगा..  पर सोचता हूँ कि शायद समय अपनी दौड़ दौड़ रहा हो, और उसे उसके पड़ाव मुझमे मिले! तो समय भी बाध्य होगा मेरा इंतज़ार करने के लिए..  अगर मैं हालात के सबक ले लूँ, तो उसका पड़ाव पार.. वरना रुकता हो वो मेरा इंतज़ार करते हुए।    लेकिन फिर देखता हूँ कि कभी मैं चाहता हूँ समय तेज़ी से गुज़रे पर वो धीमा वो जाता है! और मैं बाध्य हो जाता हूँ वो देखने और और महसूस करने के लिए जो मुझे पसंद भी नहीं! और कभी कितनी भी कोशिश करो, अच्छा समय भी रोके नहीं रुकता! अब जब दिन हफ्ते महीने साल दशकों में अपनी यात्रा के पड़ाव ढूढ़ने निकला, उसी राह में समय मिला, मेरे अनुभवों के फीते से अपने सफर की लम्बाई नापता हुआ..  समझना आसान था, साथ ही दौड़ रहे हैं.. "समय और मैं"।  २ दिसंबर, २०१४...