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Showing posts from September, 2012

हिंदी

( हिंदी दिवस के अवसर पर )  हिंदी, तुम मेरी प्रथम भाषा नहीं हो,  पर दिल के करीब हो. पहली भाषा तो मैंने सिर्फ आँखों की सीखी थी,  जब आँखों से बहते ख़ुशी के आंसू देखकर परिवार क्या है.. जान लिया था. दूसरी भाषा हँसने-रोने की थी, जब जान गया था कि बिन बोले कैसे अपनी बात मनवानी है.  तीसरी तुम्हारी बहन मराठी थी, जिसने मुझे मेरे पहले २ शब्द दिए थे.. "आई, बाबा" तुम चौथी थी. पर जब तुम आई तो, मेरे विचारो को शब्द मिल गए थे.. तुमने मुझे दोस्त दिए.. मेरी दुनिया का दायरा बढा दिया.. मेरी पहचान तुमसे है.. मेरे विचार तुमसे है.. कहीं मुझमे तुम बसती हो, हमेशा  मेरे साथ चलती हो.. हिंदी, तुम मेरी प्रथम भाषा नहीं हो,  पर दिल के करीब हो! १४ सितम्बर २०१२ ( हिंदी  दिवस) पुणे