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Showing posts from 2011

दोस्तों के नाम :-)

आसमान की डाल से एक मीठा सितारा पक कर गिरा था. बंद आँखों से.. ख्यालों के पैरों पर उसे पकड़ने को मैं दौड़ा था. दुआ के हाथों से जब उसे उठाया था.. तब मैंने तुम्हे पाया था.. जब राह अंतहीन थी.. और साथी कोई ना था, तकलीफों की तपती राह पर उम्मीदों के पाँव जलने लगे थे. बोझिल आँखों से मैंने अपने लिए भी एक फ़रिश्ते को बुलाया था. तब मैंने तुम्हे पाया था.. कहते हैं दोस्त इंसान नहीं एक आदत होते हैं, आदत.. जिनपर आपका कोई ज़ोर नहीं होता.. जब आदतों से जुड़ने का मेरा भी मौका आया था. तब मैंने तुम्हे पाया था.