मैं एक जोकर हूँ। कब ख़ुद के लिए हँसा था, ये याद नही, पर दूसरो के लिए हर पल मैं हँसता हूँ.. दिलों मे तो जगह नही मिलती, पर मैं लोगो के छोटे से वक्त मे बसता हूँ.. ना मेरा कोई दिल है, ना दिल की बात है। ना मुझे कोई आस है, ना मेरी कोई फरियाद है॥ शक्लों को पसंद करने वाली दुनिया मे नही मेरी कोई औकात है.. हाँ बिना शक्ल का.. हँसते मुखौटे के पीछे छुपा मैं एक जोकर हूँ॥ जब इंसानों ने ठुकराया तो कुदरत को दोस्त बनाया, जब कुदरत ने भी ठुकराया तो हँसी को दोस्त बनाया। अपनी छोटी सी खुशी मे और अपने ग़मों पर भी मैं हँसता हूँ.. देखने वालो को मैं हमेशा ही खुश दिखता हूँ। हँसते होठो के बीच मेरे दर्द पर भीगी आँखे ढूंढ़ता हूँ.. मैं एक जोकर हूँ॥ वक्त की बंदिशों मे सब मेरे साथ हँसते रहते हैं, उस वक्त के बाद सिर्फ़ सन्नाटे ही मुझसे कुछ कहते हैं। जब कोई देखता, मैं सिर्फ़ हँसता होता था, कोई नहीं जानता कि सबसे छुपकर मैं कितना रोता था. भगवान भी पत्थरो में छुपकर मुस्कुरा कर मुझे अनसुना कर देता है। मैं... एक जोकर हूँ। २७-०१-२००९ (बंगलौर)
Poetry is my best mate during loneliness. Below are the few colors of this best mate of mine. :)