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Showing posts from 2009

Death of the Joker

मैं मुखौटे में छुपा था.. मुखौटे में ही रह गया.. ना मेरे होने की कोई ख़बर थी, ना मेरे ना-होने की कोई ख़बर है.. जो जानता था मुझको, उसने किसी को बताया नही.. फ़िर कोई मुझे जानता नही, तो किसी ने मुझे अपनाया नही.. मैं तनहा ही था .. और अब तनहा ही नही - हूँ .. मैं जोकर ही था.. मर कर भी वही हूँ.. दूसरों के चेहरे पर हसी मुझे अब भी भाति है.. कभी कभार हिचकियाँ मुझे भी आती हैं.. देखने जाता हूँ कभी अपने कपडों में किसी और को.. सुनता हूँ लोग कहते हैं "पहले वाला ज़्यादा अच्छा था। " उनकी यह मायूसी अब भी मुझसे खलती है. जाता हूँ दौड़ कर स्टेज पर और कुछ नया कर दिखाता हूँ.. अब बिना मुखौटे के भी मुझे कोई देख नही सकता। मैं पहले भी अनदेखा था ... मर कर भी वही हूँ । एक चेहरा मुझे याद है.. अब भी उसे दूर से देखने भर को जाता हूँ.. उसके चेहरे पर हँसी अब भी सबसे खूबसूरत लगती है. उसका वो बचपन अब भी है, वो शरारत अब भी है.. पता नहीं उसको मैं याद हूँ या नहीं.. पर मेरे जेहन मे वो अब भी है.. शायद वो कभी सोचती होगी कि मैं कहीं हँस रहा हूँगा, उसे शायद वो कागज़ पर रंगों से बनी मुस्कराहट असली...

जोकर

मैं एक जोकर हूँ। कब ख़ुद के लिए हँसा था, ये याद नही, पर दूसरो के लिए हर पल मैं हँसता हूँ.. दिलों मे तो जगह नही मिलती, पर मैं लोगो के छोटे से वक्त मे बसता हूँ.. ना मेरा कोई दिल है, ना दिल की बात है। ना मुझे कोई आस है, ना मेरी कोई फरियाद है॥ शक्लों को पसंद करने वाली दुनिया मे नही मेरी कोई औकात है.. हाँ बिना शक्ल का.. हँसते मुखौटे के पीछे छुपा मैं एक जोकर हूँ॥ जब इंसानों ने ठुकराया तो कुदरत को दोस्त बनाया, जब कुदरत ने भी ठुकराया तो हँसी को दोस्त बनाया। अपनी छोटी सी खुशी मे और अपने ग़मों पर भी मैं हँसता हूँ.. देखने वालो को मैं हमेशा ही खुश दिखता हूँ। हँसते होठो के बीच मेरे दर्द पर भीगी आँखे ढूंढ़ता हूँ.. मैं एक जोकर हूँ॥ वक्त की बंदिशों मे सब मेरे साथ हँसते रहते हैं, उस वक्त के बाद सिर्फ़ सन्नाटे ही मुझसे कुछ कहते हैं। जब कोई देखता, मैं सिर्फ़ हँसता होता था, कोई नहीं जानता कि सबसे छुपकर मैं कितना रोता था. भगवान भी पत्थरो में छुपकर मुस्कुरा कर मुझे अनसुना कर देता है। मैं... एक जोकर हूँ। २७-०१-२००९ (बंगलौर)